वस्त्रों का संमार्जन (अच्छी तरह धोकर साफ करना) ' कला ' है।
4.
मल त्याग करने के बाद, शौच आदि से निपटने के बाद अण्डकोष, लिंग तथा हाथ-पांव को अच्छी तरह से ठंडे पानी से धोकर साफ करना चाहिए।
5.
रोगी को तीन चार दिन रात के समय में कान में हल्का गर्म तेल डालना चाहिए और सुबह के समय में कान को गर्म पानी से धोकर साफ करना चाहिए लेकिन सावधानी से कान की नली के अन्दर पानी न जा पाए।
6.
दूसरा तरीका ये है कि एक गिलास लीजिये और इसे रेती से आधा भर दीजिये, फिर इसे तीन चौथाई पानी से भरकर किसी चीज से हिलाइये, रेती गंदी होगी तो पानी मटमैला-गंदा हो जायेगा, फिर जब गिलास के तल में गंदगी और रेती की परत अलग-अलग बैठ जाये, जो इसे ध्यान से देखिये अगर गंदगी की परत रेती की परत से ५ प्रतिषत से ज्यादा मोटी हो तो फिर रेती को धोकर साफ करना जरूरी समझिये ।